Friday, September 28, 2018

विदाई

प्रियंका जैन "चंचल "
जा रहे हो आज आप, दे रहे विदाई |
चक्र है समय का कैसा, यह घड़ी भी आई |
वो कली नन्हीं-सी खिलकर कैसी मुस्कुराई ||...जा रहे हो आज आप...
होती है विदाई इक दिन सबकी,
सबको जाना होता है |
कुछ खोना ही होता है ,जो मंजिल पाना होता है |
मिलन है जिसका, उसकी तो निश्चित होती है जुदाई ||...जा रहे हो आज आप...
वक्तके साथ ही चलना पड़ता यूँ ही नहीं रुक जाना |
"चंचल" मंजिल छूट गई तो फिर पीछे पछताना |
आप से महफ़िल का रंग होता,अब होगी तन्हाई ||...जा रहे हो आज आप...
सदा सताते रहते तुमको ,करते मनमानी हरदम
क्षमा मांगते  है  हम तुमसे ,दिया यदि हो कोई गम
अब तो हमकों छोड़ेंगी ना ,
यादों की परछाई ||...जा रहे हो आज आप...

No comments: