प्रियंका जैन "चंचल" |
काहे करे रे बबेला ,सारा जग ये झमेला ||
अपनी अपनी नावों पे सवारी सवार हैं,
कुछ ही क्षणों में वो किनारे से पार है ,
देखों रे ये कैसा अद्भुत क्षण भर का मेला ||...आया है अकेला
कर्म किए है तूने, कैसे भारी भारी ,
मुक्ति नगर में जाने, कब तेरी बारी,
तन को सजावे लेकिन मन तेरा मैला ||...आया है अकेला
करे नहीं कर्म सही, फल अच्छा चाहवे ,
ज्ञानी गुरु आवे, तुझे कितना समझावे ,
मन कैसा है रे तेरा 'चंचल' अलबेला ||...आया है अकेला
तेरी जिन्दगी का यही मुद्दा बन जावे ,
देव, गुरु, धर्म पे श्रद्धा तू बढ़ावे ,
मिल जायेगी मुक्ति तुझको लगेगा न धेला|| ...आया है अकेला
*वीडियो *
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