Friday, October 5, 2018

कामकाजी माँ

प्रियंका जैन "चंचल "
काम दिन भर किया ,
अब  गोद में सुला दों न माँ |
सारा दिन काम में  भुलाया मुझे ,
अब काम भुला दो न माँ |
जानता हूं व्यस्त हो ,
फाईलों में पस्त हो |
पर ना उम्मीद मेरी पस्त हो ,
बाहों के झूले में झुला दो ना माँ .||
 गोद में आज  तेरी सोने का मन है |
काम ज्यादा है और  समय थोड़ा कम है |
थकी हो,लगी हो,सबकी चिंता में पगी हो|
उलझन यही"चंचल "बन गई निर्मम है 
खाता खुशियों का खुला दो न माँ |
देके थपकी कहानी  सुना दो न माँ ||

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