Wednesday, October 10, 2018

गुरुवर

प्रियंका जैन "चंचल "
आज बहा दो मेरे गुरुवर ,अमृत ज्ञान की धारा |
आई हूँ सब छोड़ के गुरुवर ,पावन तेरा सहारा ||
करूँ कर्म मैं ऐसे प्रभुवर ,कर्म निकाचित काँटू |
सिद्ध हो तुम और मैं अज्ञानी यही भेद को पाटू|
मंशा एक यही "चंचल" की जन्म ना ले दोबारा || ...आई हूँ सब छोड़ के...
पाप अठारह बड़े भयंकर ,इससे करे किनारा |
जन्म-मरण के चक्कर से जब ही होगा छुटकारा |
सिद्ध गति को प्राप्त करें हम लक्ष्य हो यही  हमारा||...आई हूँ सब छोड़ के...
बाहर से मीठा लगता जग ,अन्दर से बड़ा खारा |
मोहजाल में फँसकर करते ,जीवन अभिशप्त हमारा |
भटकाता भव -भव में जीव को ,ज्यों भटके बंजारा ||...आई हूँ सब छोड़ के...
भटक चुकी कितने भव जाने ,अब कर लिया सोच विचारा |
आई शरण में तेरे गुरुवर नहीं मुझे कोई गंवारा |
करती हूँ तुझ पर मैं श्रद्धा,करूं जीवन अर्पण सारा ||...आई हूँ सब छोड़ के...
प्राण ना प्यारे मुझको गुरुवर ना ही मुझे पैसा प्यारा  |
करुणा भाव रक्खू जीवों पर ,समतामय हो नारा |
तभी मिलेगा वो परमानंद वो अनुपम सुख न्यारा ||...आई हूँ सब छोड़ के...

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