Saturday, October 27, 2018

उच्चारण स्थान,संधि एवं समास

            वर्णों के उच्चारण स्थान 

कंठ-     (अकुहविसर्जनीयानाम कंठ)     =    , , क वर्ग (क,, , घ), ह एवं विसर्ग 

तालु-     (इचुयशानाम तालु )      =               ,, च वर्ग (च ,, , झ ), य एवं श 

मूर्धा -    (ऋटूरषाणाम  मूर्धा )     =               ,ट वर्ग (ट ,,,ढ ) र एवं ष 

ओष्ठौ-   (उपूपध्यामानीयानाम ओष्ठौ)  =    , ,प वर्ग ,(, ,,भ )

 
दांत -     (ल्रतुलसानाम दंता )    =                , त वर्ग (त, , ,ध )एवं स 

कंठ-तालु       =                                             ए ऐ 

कंठ-ओष्ठ     =                                             ओ औ 

दन्तोष्ठ         =                                               

नासिका-                                                       सभी वर्गों के पंचम वर्ण  




संधि  (संक्षिप्त रूप में )

दो वर्णों के परस्पर मेल (से होने वाले विकार या परिवर्तन) = संधि       
संधि (१ स्वर संधि ,२ व्यंजन संधि ,३ विसर्ग संधि )

स्वर संधि भेद –(दीर्घ संधि ,गुण संधि ,वृद्धि संधि ,यण संधि एवं अयादि संधि )
१ दीर्घ संधि - अक: सवर्णे दीर्घ:
ह्रस्व या दीर्घ अक अर्थात् (अ,इ,उ,ऋ) के बाद सवर्ण स्वर आए तो दोनों मिलकर दीर्घ होते है |जैसे –
अ/आ + अ/आ = आ (गीता+अंजलि =गीतांजलि,परम+अर्थ =परमार्थ)
इ/ई + इ/ई = ई (अभि+ईप्सा =अभीप्सा,रजनी+ईश =रजनीश )
उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ (कटु+उक्ति =कटूक्ति ,भू+ऊर्ध्व =भूर्ध्व )
२ गुण संधि –आद गुण
आद (अ,आ) से इक (इ,उ,ऋ,ल्र) परे होने पर पूर्व पर के स्थान पर गुण (ए,ओ,अर) होता है | जैसे –
आद + इक = गुण
अ/आ + इ/ई =ए (न+इति =नेति,राका+ईश =राकेश,योग+ईश्वर =योगेश्वर) 
अ/आ + उ/ऊ =ओ (वीर+उचित =वीरोचित,महा+उत्सव =महोत्सव ,पर+उपकार =परोपकार )
अ/आ + ऋ =अर (महा+ऋषि =महर्षि ,ग्रीष्म +ऋतु =ग्रीष्मर्तु ,सप्त+ऋषि =सप्तर्षि )
३ वृद्धि संधि –वृद्धिरेचि
अ,आ से परे एच (ए,ओ,ऐ,औ) होने पर पूर्व और पर के स्थान पर वृद्धि (ऐ,औ) होता है | जैसे –
अच् +एच = वृद्धि
अ/आ+ए/ऐ  =ऐ (हित+एषी =हितैषी,एक +एक =एकैक ,महा+ऐश्वर्य =महैश्वर्य )
अ/आ+ओ /औ =औ (परम+ओजस्वी =परमौजस्वी,वन +औषध =वनौषध,महा +औषध =महौषध )
४ अयादि संधि –एचोअयवायाव
एच (ए,ओ,ऐ,औ) के बाद यदि अच हो तो  एच (ए,ओ,ऐ,औ) के स्थान पर क्रमशः अय,आय,अव,आव होता है | जैसे
ए + ए/ऐ के अलावा अन्य स्वर= के स्थान पर अय(ने +अन =नयन ,शे +अन =शयन )
ऐ +  ए/ऐ के अलावा अन्य स्वर= के स्थान पर आय (नै +अक =नायक ,दै+इनी =दायिनी )
ओ + ओ/औ के अलावा अन्य स्वर= के स्थान पर अव्  (गो +अक्ष =गवाक्ष,हो+अन =हवन )
औ + ओ/औ के अलावा अन्य स्वर= के स्थान पर आव्
 (पौ +अक =पावक,नौ+इक= नाविक,भौ+उक =भावुक )

५ यण संधि –इकोयणचि
इक (इ,उ,ऋ,ल्र) के स्थान यण (य,व,र,ल) होता है | जैसे – 
इ/ई+ इ/ई के अलावा अन्य स्वर= य (अभि +अर्थी =अभ्यर्थी ,उपरि +उक्त =उपर्युक्त )
उ/ऊ + उ/ऊ के अलावा अन्य स्वर=व् (सु +अच्छ =स्वच्छ ,पू +इत्र =पवित्र ,सु+आगत =स्वागत )
ऋ +  ऋ के अलावा अन्य स्वर=र (पितृ +अनुमति =पित्रनुमति ,मातृ+आनंद =मात्रानंद )

 समास
समास अर्थात् संक्षिप्तीकरण
दो शब्दों का मेल समास कहलाता है |
अव्ययी भाव समास पहला शब्द अव्यय होता है | उदाहरण ;जैसे –
समास =समास विग्रह
आमरण =मरण तक
प्रत्यक्ष =अक्षि (आँख) के आगे
यथोचित =जैसा उचित है वैसा
लाजवाब =जिसका जवाब न हो
दिन भर =पूरे दिन
एक-एक =एक के बाद एक
२ तत्पुरुष समास –कारक चिह्नों के लोप से बनने वाला समास
समास =समास विग्रह
मनोहर =मन को हरने वाला
धर्मांध =धर्म से अंधा
देशभक्ति =देश के लिए भक्ति
पदमुक्त =पद से मुक्त
मंत्रिपरिषद =मंत्रियों की परिषद्
कविराज =कवियों में राजा

३ द्वंद्व समास – द्वंद्व समास में दोनों ही शब्दों की प्रधानता होती है तथा और ,या ,अथवा आदि संयोजक शब्दों के लोप कर देने से बनता है |
समास =समास विग्रह
अन्नजल =अन्न और जल
पच्चीस = पांच और बीस
हरिहर =हरि(विष्णु) और हर (शिव)
फल-फूल =फल,फूल आदि
एक-दो =एक या दो

४ द्विगु समास –जिस समास में पहला पद संख्यावाचक विशेषण हो और पूरा समास समूह का बोध कराए उसे द्विगु समास कहते है |
समास =समास विग्रह
एकांकी =एक अंक का (नाटक)
त्रिमूर्ति =तीन मूर्तियों का समूह
द्विवेदी =दो वेदों को जानने वाला
चौराहा =चार राहों का समूह
पंचामृत =पाँच अमृतों का योग

५ कर्मधारय समास –परस्पर दोनों पदों में विशेषण –विशेष्य तथा उपमान उपमेय का संबंध होता है |
समास =समास विग्रह
खुशबू =खुश (अच्छी) है जो बू
महापुरुष =महान है जो पुरुष
परमात्मा =परम है जो आत्मा
भ्रष्टाचार =भ्रष्ट है जो आचार
राजीवलोचन =राजीव(कमल) के समान लोचन
६ बहुव्रीही समास –समस्त पद कोई और अन्य ही अर्थ देता है | वे शब्द एक विशेष अर्थ के लिए रूढ़ हो जाते है |जैसेः गिरिधर =न तो गिरि पद प्रधान और न ही धर अपितु अर्थ निकलता है ---कृष्ण
समास =समास विग्रह
वाग्देवी =वह जो वाक् की देवी है –(सरस्वती)
पंचतंत्र =पञ्च प्रकार का तंत्र (संस्कृत –पुस्तक )
लोकसभा =लोक(लोगो)की सभा (भारतीय संसद का निम्न सदन)
लम्बोदर =लम्बा है उदर जिसका –गणेश
त्रिफला =तीन फलों का समूह –- हरडे,बहेड़ा,आंवला  



No comments: