अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी जिला करौली ,राजस्थान में शिक्षक प्रशिक्षण प्रवास के दौरान सायं काल में दोस्तों के बीच घर से दूर माहौल को खुशनुमा बनाने की कोशिश में हंसी ठिठोली ,तुकबंदी गीतों वाली शाम की एक याद ---सादर समर्पित ...
गंभीर नदी के तट पर एक बात हो गई दोस्तों -
एक भले मानुष से... मुलाक़ात हो गई दोस्तों ...!!
मैं "चंचल" भोली नादान,मारग से बिलकुल अनजान,
मैं अकेली घबराई- सी करने लगा मुझसे पहचान ,
मीठी बातों में आ उसके साथ हो गई दोस्तों ...!!गंभीर नदी के तट पर ...
गोरा, चिकना चेहरा उसका ,मोरे मन को भाया,
मन ही मन मैनें तो उसको, सब कुछ अपना बनाया ,
शांति नगर में ज्यों ही पहुँची, मेरा सिर चकराया ,
हम दोनों को साथ देखकर एक आदमी आया ,
पहले थोड़ा मुस्काया ,फिर उसको गले लगाया ,
वो भला मानुष तो... गोरी नार निकल गई दोस्तों !!गंभीर नदी के तट पर ...
1 comment:
ऐसा लगता है प्रारंभिक दौर की कविताओं में से एक कविता है कविताओं का पुराना खजाना निकल रहा है
सुंदर तुकबंदी
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