प्रियंका जैन "चंचल " |
अब गोद में सुला दों न माँ |
सारा दिन काम में भुलाया मुझे ,
अब काम भुला दो न माँ |
जानता हूं व्यस्त हो ,
फाईलों में पस्त हो |
पर ना उम्मीद मेरी पस्त हो ,
बाहों के झूले में झुला दो ना माँ .||
गोद में आज तेरी सोने का मन है |
काम ज्यादा है और समय थोड़ा कम है |
थकी हो,लगी हो,सबकी चिंता में पगी हो|
उलझन यही"चंचल "बन गई निर्मम है
खाता खुशियों का खुला दो न माँ |
देके थपकी कहानी सुना दो न माँ ||
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