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Friday, September 21, 2018

संग दिलों की बज़्म

संग दिलों की बज़्म में, मेरा भला क्या काम है |
हुनर उनका है यही, देते वो गम ए इनाम हैं ||
उनकी फ़ितरत जाने कैसी ,जाने उनका ही ख़ुदा ,
रूह मेरी कांपती, करे चर्चा जब उनकी जुबां ,
दर्दे- दिल ,दर्द- ए- जुदाई, उनका यही पैगाम है ||
प्यार के ज़ज्बे से उनका, हैं नहीं कोई वास्ता ,
उनकी दुनिया है अलग ,और है जुदा हर रास्ता ,
गम के सागर में डुबो के ,छलकाते ये जाम है ||
जख्म देकर इनकी रूह को ,चैन मिलता है कहाँ 
छीन लेते है यह दिलवर से, शुकून का जहाँ 
मासूम दिल को क़त्ल करना, इनका शौक- ए- आम है ||
यह मुहब्बत इक इबादत, इसपे जां निसार है ,
बेमुरव्वत बेबफ़ा जानेंगे, ये क्या प्यार है .
इनकी नज़रों में मुहब्बत, बदनुमा इल्जाम है ||

 प्रियंका जैन "
चंचल"

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