सरकारी पत्र/शासकीय पत्र
परिभाषा:-
सरकार को कामकाज से सम्बन्धित पत्र सरकारी या शासकीय पत्र कहलाते हैं।
इनका प्रयोग सरकारी विभागों/कार्यालयों द्वारा किया जाता है। सरकार के कामकाज के सम्बन्ध में
विभिन्न तरह के पत्राचार किए जाते हैं। इस
प्रक्रिया में प्रयोग होने वाले पत्राचार के अन्तर्गत सबसे अधिक प्रयोग सरकारी
पत्रों का होता है। इनका एक निश्चित प्रारूप और रचना शैली होती है। जिसे ध्यान में
रखकर ये लिखे जाते हैं। इन्हें लिखते समय मौलिक प्रयोग करना उचित नहीं होता है ।
ऐसा नहीं है कि एक प्रदेश की सरकार अथवा कोई एक कार्यालय इन्हें एक तरह से लिखेगा
और दूसरी सरकार दूसरी तरह से।
विशेषतांए:-
1)
सरकारी
पत्र पूरी तरह से औपचारिक होते हैं। इनमें व्यक्तिगत परिचय अथवा
पहचान की झलक नहीं होती है।
2) यह संक्षिप्त और संतुलित होते हैं । इनमें
नपे-तुले शब्दों का प्रयोग होता है।
3) इनमें राजभाषा की शब्दावली रखी जाती है।
4) सरकारी पत्र हमेशा अन्य पुरूष में लिखे
जाते हैं, मैं/हम सर्वनामों का प्रयोग इनमें
नहीं किया जाता है ।
इनका प्रारम्भ इस तरह से होता है- “मुझे यह कहने का निदेश हुआ है”
5) सरकारी पत्रों में एक आदेश अथवा सूचना एक
ही पैराग्राफ में लिखी जाती है।
यदि दूसरी बात कही जा रही है तो दूसरे पैराग्राफ से और 2 की संख्या
डालकर
लिखी जाती है।
सरकारी पत्र के उदाहरण
पत्र संख्या गृ.मं.सा.4य 2019-20-....................... दिनांक : 25/02/2019
प्रेषक,
सचिव
गृह मंत्रालय, उत्तर प्रदेश शासन
गृहमंत्रालय
लखनऊ, दिनांक : 25/02/2019
सेवा में,
सचिव
रक्षा
मंत्रालय, भारत सरकार
नई
दिल्ली
विषय – इलाहाबाद
उच्च न्यायालय के सामने स्थित भूमि के संदर्भ में।
महोदय,
मुझे आपका ध्यान इलाहाबाद
उच्च न्यायालय के सामने स्थित भूमि की ओर आकृष्ट कराने का निदेश हुआ है । यह भूमि
विगत अनेक वर्षों से खाली पड़ी है। रक्षा मंत्रालय द्वारा इसका उपयोग नहीं किया जा
रहा है।
उत्तरप्रदेश सरकार इस भूमि
का हस्तांतरण चाहती है । यहाँ पर प्रदेश सरकार की ओर से एक पुलिस प्रशिक्षण केंद्र
बनाने की योजना है।
रक्षा मंत्रालय की स्वीकृति की प्रतीक्षा है ।
भवदीय
ह.
..........
पृ.संख्या और दिनांक
(अबस)
सचिव, गृह मंत्रालय
प्रतिलिपि निम्नलिखित को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित
1.
2.
3.
आज्ञा से
ह. ................ (अबस)
सचिव, गृह मंत्रालय
अर्धसरकारी
पत्र/अर्धशासकीय पत्र/Demi Official
Letter(Do Letter)
अर्धसरकारी पत्र सरकारी पत्र का ही एक उपभेद है। इसका प्रयोग भी सरकार
के काम काज में होता है। यह अवश्य है कि सरकारी पत्रों की तुलना में इनका प्रयोग
कम होता है। यह यद़ा-कदा विशेष परिस्थिति में ही भेजे जाते हैं। जब किसी आवश्यक
कार्य की ओर सम्बंधित अधिकारी का ध्यान तुरंत दिलाना हो, सरकार के किसी आदेश का
परिपालन शीघ्रता से कराना हो, सरकार द्वारा किसी नीति का परिपालन तत्काल कराना हो,
किसी विभाग से कोई जानकारी अविलम्ब लेनी हो तब अर्धसरकारी पत्र भेजे जाते हैं। इन
पत्रों में औपचारिकता का पालन नहीं किया जाता है। काम की जल्दी को ध्यान में रखकर
ही ऐसे पत्र सम्बंधित आधिकारी के व्यक्तिगत नाम से भेजे जाते हैं।
उदाहरण:-
अर्धशासकीय प0 सं0-23(1) 2019-20
क.ख.ग शिक्षा
विभाग (उ.शि.)
सचिव उत्तर प्रदेश लखनऊ, दिनांक.....
प्रिय तिवारी जी,
कृपया श्री अ ब स, लेखाधिकारी
के सम्बन्ध में भेजे गए अपने अर्धशासकीय पत्र संख्या दिनांक .......... का अवलोकन
करें।
2. आपकी संस्तुति के
आधार पर मैं यह सूचित करना चाहूँगा कि श्री अ ब स को दिनांक .......... तक सेवा
में बना रहने दिया जाए।
श्री च छ ज आपका....................
शिक्षा निदेशक (उ.शि.) ह...........................
उच्च शिक्षा निदेशालय, उ0प्र0
क ख ग
इलाहाबाद। सचिव
परिपत्र
(CIRCULAR)
परिपत्र सरकारी पत्राचार का ही एक प्रकार है। सरकार के कामकाज में
इसका भी प्रयोग होता है। जब कोई सरकारी पत्र अनेक विभागों अथवा कार्यालयों को एक
साथ भेजा जाता हैं तब वह परिपत्र कहलाता है। जब विषय एक हो, प्रेषक एक हो लेकिन
पाने वाले अनेक हो तब सरकारी पत्र ही परिपत्र बन जाते है। एक ही आदेश, निदेश अथवा
सूचना का सम्बंध जब सरकार के कई विभागों से रहता है तब एक परिपत्र तैयार करके सभी
को भेज दिया जाता है।
परिपत्र का प्रारूप और रचना
शैली सरकारी पत्र जैसी होती है। दोनों में अनेक समानतांए होती है। अंतर केवल इतना
है कि परिपत्र हमेशा उपर के विभागों से नीचे के विभागों को भेजे जाते हैं । जबकि
सरकारी पत्र उपर से नीचे अथवा नीचे से उपर भेजे जाते है। दूसरा अंतर यह है कि
परिपत्र कभी एक व्यक्ति को नहीं भेजा जाता है। यह एक साथ अनेक लोगों को भेजा है।
परिपत्र की अन्य विशेषतांए
सरकारी पत्र की तरह होती है।
परिपत्र
के उदाहरण
प्रेषक
पत्र संख्या खा0आ0म0/2019-20
सचिव
खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय, भारत सरकार
खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय
नई दिल्ली, दिनांक .....................
सेवा में,
समस्त राज्य सरकारें
विषय- खाद्यान्नों की वसूली के संदर्भ
में।
महोदय,
मुझे
यह सूचित करने का निर्देश (निदेश) हुआ है कि इस समय देश में खाद्यान्नों की बहुत
कमी है। सूखे के कारण कई राज्यों में फसलें बर्बाद हो गई हैं। इस आपदा से निपटने
के लिए सरकार ने निर्णय लिया है कि अन्न-बहुल राज्यों की सरकारों द्वारा अपने-अपने
राज्यों में खाद्यान्नों की वसूली की जाए। प्रत्येक राज्य के लिए निर्धारित खाद्यान्नों
की मात्रा तथा उनके मूल्य आदि के बारे में विस्तृत सूचना शीघ्र भेज दी जाएगी।
1.
राज्य
सरकारें इस सम्बंध में जो कार्यवाही करें उनका तथा खाद्यान्न वसूली की प्रगति का
साप्ताहिक विवरण इस मंत्रालय को भेजते रहें।
भवदीय ह. .......... अ ब स
सचिव, खा0आ0मं0
कार्यालय आदेश (Office Order)
कार्यालय आदेश किसी सरकारी विभाग द्वारा अपने कार्यालयों अथवा किसी
कार्यालय द्वारा अपने यहाँ कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए समय-समय पर जारी किए गए
आदेशों की सूचना होती है। इसका दायरा सीमित होता है। यह किसी कार्यालया के सभी/कुछ/किसी एक कर्मचारी से
सम्बंधित हो सकता है। इसके अन्तर्गत प्राय: निम्नलिखित सूचनाएँ रहती हैं :-
·
कार्यालय
द्वारा बनाए गए नियमों की जानकारी।
·
कार्यालय
में सूचित नए पदों के सम्बंध में सूचना।
·
एक
अनुभाग से दूसरे अनुभाग में किए गए स्थानांतरण की सूचना।
·
कार्यरत
कर्मचारियों में से कुछ को दिए गए दीर्घ अवकाश की सूचना।
·
कुछ
कर्मचारियों द्वारा अपनी भविष्य निधि से माँगे गए अग्रिम ऋण की स्विकृति की सूचना
।
·
किसी
अथवा कुछ कर्मचारियों की चेतावनी आदि।
·
कार्यालय आदेश का प्रारूप सीधा सादा होता है।
इसमें तकनीकी जटिलता नहीं होती है। सरल और स्पष्ट शब्दों मे इसे लिखा जाता है।
·
कार्यालय
आदेश में सम्बोधन, विषय, अधोलेख आदि नहीं लिखे जाते हैं।
कार्यालयी
आदेश के उदाहरण
लोक सेवा आयोग,
उ0प्र0
प.संख्या-लो0 से0 आ0 5-16-2019-20 इलाहाबाद, दिनांक...........
कार्यालय
आदेश (1)
एतत्
द्वारा सूचित किया जाता है कि सम्मिलित राज्य प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा(प्रा0)
2019, रविवार दिनांक ...............को आयोजित हो रही है। परीक्षा की समुचित
व्यवस्था के लिए कार्यालय के समस्त कर्मचारियों को इस कार्य से सम्बद्ध किया जाता
है।
प्रत्येक
कर्मचारी को उसके कार्य विषयक सूचना परीक्षा अनुभाग द्वारा यथा समय उपलब्ध करा दी
जाएगी।
हस्ताक्षर................. (अ ब स)
सचिव, लो0 से0 आ0, उ0प्र0
कार्यालय
आदेश (2)
एतत्
द्वारा सूचित किया जाता है कि सम्मिलित राज्य प्रवर अधीनस्थ सेवा, परीक्षा (प्रा0)
2019, रविवार दिनांक ................ को आयोजित हो रही है। परीक्षा की समुचित
व्यवस्था के लिए कार्यालय के समस्त कर्मचारियों को इस कार्य से सम्बद्ध किया जाता
है।
प्रत्येक कर्मचारी को उसके कार्य-विषयक सूचना परीक्षा अनुभाग द्वारा
यथा समय उपलब्ध करा दी जाएगी।
हस्ताक्षर................. (अ ब स)
सचिव, लो0 से0 आ0, उ0प्र0
|
कार्यालय आदेश (3)
कार्यालय जिला शिक्षा
अधिकारी ,जिला उज्जैन
क्रं /शिक्षा
/आर.एम.एस.ए./2019/717 दिनांक 13.9.2019
आदेश
उज्जैन जिले में लगातार जारी वर्षा को दृष्टिगत
रखते हुए जिले की समस्त शासकीय एवं अशासकीय (समस्त बोर्ड अंतर्गत संचालित) शालाओं
में दिनांक 14.09.2019 शनिवार को अवकाश घोषित किया जाता है |यह अवकाश कक्षा नर्सरी से
12वीं के समस्त
विद्यार्थियों के लिए रहेगा |यह अवकाश शिक्षकों पर लागू नहीं होगा |
कलेक्टर महोदय द्वारा आदेशित |
जिला शिक्षा अधिकारी
जिला उज्जैन
क्रं /शिक्षा
/आर.एम.एस.ए./2019/718 दिनांक 13.9.2019
प्रतिलिपि -
1.
2.
3.
4.
5.
जिला शिक्षा अधिकारी
जिला उज्जैन
अधिसूचना/विज्ञप्ति (Notification)
अधिसूचना
और विज्ञप्ति को लेकर विशेषज्ञों में मतभेद है। इस मतभेद का कारण एक शब्द है और वह
शब्द है- “प्रेस विज्ञप्ति”। विज्ञप्ति और प्रेस विज्ञप्ति को एक मान लेने से संदेह की स्थिति
पैदा हो गई है डा. हरदेव बाहरी की पुस्तक “राज-काज में हिंदी” के पृष्ठ 85 पर लिखा है – अधिसूचना या विज्ञप्ति और इन दोनों के लिए
अंग्रेजी का एक ही शब्द दिया गया है –Notification स्पष्ट है कि यहाँ पर अधिसूचना और विज्ञप्ति को एक ही माना गया है
लेकिन इसी पुस्तक के पृष्ठ-91 पर प्रेस विज्ञप्ति के लिए भी अधिसूचना का प्रयोग
हुआ है, अर्थात अधिसूचना और प्रेस विज्ञप्ति को एक माना गया है । इसके विपरित डा.
वासुदवनंदन प्रसाद की पुस्तक आधुनिक हिंदी व्याकरण और रचना के पृष्ठ-283 पर प्रेस
विज्ञप्ति के लिए अंग्रेजी का शब्द Press
Note दिया गया है अर्थात डा. प्रसाद विज्ञप्ति को
प्रेस विज्ञप्ति से भिन्न मानते हैं।
परिभाषा:-
यह कार्यालय आलेखन का एक विशिष्ट रूप है । विभिन्न सरकारी विभागों
द्वारा इसका प्रयोग होता है। इसमें अनेक तरह की सरकारी सूचनाएँ रहती हैं। आदेशों,
नियुक्तियों, पुर्ननियुक्तियों, प्रतिनियुक्तियों, सेवावृद्धि, स्थानांतरण,
सेवानिवृत्ति और निधन आदि की सरकारी सूचना को अधिसूचना /विज्ञप्ति कहा जाता
है।अधिसूचना पत्र की तरह भेजी भी जाती है और गजट में प्रकाशित भी होती है।
इसमें
प्रेषक का उल्लेख नहीं रहता है इसके अलावा विषय सम्बोधन, अधोलेख आदि भी नहीं रहते
हैं। भवदीव न लिखकर सम्बंधित अधिकारी का हस्ताक्षर मात्र रहता है और उसी के नीचे
पदनाम भी लिखा जाता है।
सूचना
पाने वाले अधिकारी को पृष्ठांकन से एक प्रति भेजी जाती है इसके अलावा लेखा विभाग
अथवा अन्य सम्बंधित विभाग को भी सूचित किया जाता है।
अधिसूचना
की एक प्रति अनिवार्य रूप से निदेशक मुद्रण एवं लेखन सामग्री को गजट में छापने के
लिए भेजी जाती है।
अधिसूचना के उदाहरण
गृह मंत्रालय, भारत सरकार
नियुक्ति अनुभाग -1
संख्या-2014/दो-1-2019-20
नई दिल्ली, दिनांक.........
अधिसूचना
अवकाश
की अवधि समाप्त होने पर श्री अ ब स, अवर सचिव की सेवा दिनांक ........... से भारत
सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंप दी गई है ।
हस्ताक्षर................. (अ ब स) प्रमुख सचिव,
गृ.मं.
भारत
सरकार
पृष्ठांकन संख्या व दिनांक
उपर्युक्तप्रतिलिपि निम्नलिखित को सूचनार्थएवं
आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित-
1.
स्वास्थ्य
मंत्रालय, भारत सरकार नई दिल्ली
2.
श्री अ
ब स, अवर सचिव, गृह मंत्रालय, भारत सरकार
3.
निदेशक,
मुद्रण एवं लेखन सामग्री, नई दिल्ली को इस अनुरोध के साथ कि इस अधिसूचना को गजट के
हिंदी संस्करण में प्रकाशित किया जाए
4.
गार्ड
फाइल
आज्ञा से
हस्ताक्षर................. (अ ब स)
प्रमुख सचिव
टिप्पणी /टिप्पण लेखन (Noting)
सरकारी विभागों / कार्यालयों में किसी विचाराधीन मामले अथवा प्रकरण
को निपटाने के लिए उस पर जो अदेश और निर्णय आदि दिया जाता है वह टिप्पण कहलाता है।
टिप्पण का उद्देश्य होता है किसी मामले का नियमानुसार निस्तारण करना । इस
प्रक्रिया में आवश्यकता के अनुसार कभी-कभी सुझाव आदि भी दिए जाते हैं। इन सुझावों
को सूचनाओं, तथ्यों, तर्कों और नियमों द्वारा पुष्ट किया जाता है। सम्बंधित
अधिकारियों को इससे अंतिम निर्णय लेने में सरलता होती है।
टिप्पण
लेखन दो प्रकार का होता है। इसी को टिप्पण का दो स्तर भी कहा जाता है। पहले प्रकार
का टिप्पण कार्यालय सहायक द्वारा लिखा जाता है। यह आरम्भिक टिप्पण होता है। इसमें
सहायक विचाराधीन मामले का विवेचन करता है। वह पूरे मामले को संक्षेप में प्रस्तुत
करता है। वह अधिकारी की सुविधा के लिए मामले के संदर्भ में नियमों आदि का उल्लेख
भी करता है। एक तरह से यही अंतिम निर्णय होता है। टिप्पण लिखने के बाद अधिकारी दांईं ओर अपना हस्ताक्षर करके
दिनांक डाल देता है। इस तरह मामला निस्तारित हो जाता है ।
संदर्भ :-
प्रदेश के किसी महाविद्यालय में कार्यरत एक
वरिष्ठ प्रध्यापक, शिक्षा निदेशालय (उ0शिक्षा) उ0प्र0 इलाहाबाद से अपनी सामान्य भविष्य
निधि (GPF) में से 3 लाख रूपये का अग्रिम ऋण के रूप मे लेना चाहता है । माँगी गई
धन राशि की स्वीकृति हेतु सुझाव देते हुए टिप्पण का नमूना निम्नवत होगा -
टिप्पण
श्री क ख ग, वरिष्ठ प्राध्यापक, कुलभाष्कर आश्रम
महाविद्यालय, इलाहाबाद में सामान्य भविष्य निधि से रुपये तीन
लाख मात्र अग्रिम ऋण के रुप में लेने हेतु आवेदन दिया है। आवेदन पत्र संलग्न है।
आवेदक यह धनराशि अपनी पुत्री के विवाह के लिए चाहते हैं। जोकि दिनांक ..............
को सम्पन्न होने वाला है। विवाह कार्ड संलग्न है। श्री क ख ग, के खाते में इस समय
रुपये चार लाख मात्र जमा है। बैंक से प्राप्त खाते का विवरण संलग्न है
। नियमानुसार मांगी गई धनराशि इन्हे दी जा सकती है। आवेदक इस धनराशि की वापसी 36 मासिक किस्तों में करेंगें। इस आशय का शपथ पत्र संलग्न है। इन्हे सामान्य
भविष्य निधि से रूपये तीन लाख अग्रिम देना चाहें।
ह0.....................
(अ ब स)
कार्यालय सहायक
दिनांक ..............
|
रूपये तीन लाख
अग्रिम ऋण के रुप में नियमानुसार स्वीकृत।
ह0..................
(च छ ज)
निदेशक (उ0शि0 नि0)
दिनांक..............
|
अनुस्मारक
/स्मरण पत्र (Reminder)
अनुस्मारक को ही स्मरण पत्र कहा जाता है। अन्य कार्यालयी आलेखनों की
तरह इसका प्रयोग भी सरकारी कामों में होता है। किसी सरकारी पत्र का उत्तर मिलने
में देरी हो और आवश्यक काम रुका हुआ हो और उत्तर प्राप्ति हेतु संबद्ध कार्यालय
को पत्र लिखा जाता है, उसे अनुस्मारक
कहते हैं। यह सामान्य आलेखन होता है। इसका प्रयोग कभी-कभी होता है। इसकी अपनी कोई
विशेषता नहीं होती है। इसका आलेख बहुत संक्षिप्त और दो टूक होता है।
सरकारी
तथा अर्धसरकारी पत्रों के संदर्भ में ही अनुस्मारक भेजा जाता है। परिपत्र,
कार्यालय आदेश, आधिसूचना आदि के संदर्भ मे यह नहीं भेजा जाता है।
एक
विभाग द्वारा दूसरे विभाग को भेजे गए पत्र का उत्तर न मिलने पर पत्र भेजने वाला
विभाग अनुस्मारक का प्रयोग करता है। इसका उद्देश्य उत्तरशीर्ष मगाँना होता है।
इसमें पिछले पत्र का संदर्भ देना आवश्यक होता है।
पहले
का पत्र जिस प्रारूप में भेजा गया है (सरकारी या अर्धसरकारी) अनुस्मारक भी उसी
प्रारुप में भेजा जाता है। अनुस्मारक का आकार और रचनाशैली संक्षिप्त एवं सरल होती
है।
निदेशक
जल संस्थान इलाहाबाद को लगातार शिकायत मिल रही है कि विगत कुछ वर्षों से कार्यालय
मे जरुरी सामानों की खरीद में अनियमितता वरती जा रही है। संस्थान के निदेशक द्वारा
इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए श्री क ख ग, वरिष्ठ लेखा परिक्षक की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित करके यह
निदेशित किया है कि एक सप्ताह के भीतर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करें।
प्रतिवेदन
श्री
क ख ग की अध्यक्षता में गठित जाच समिति ने कुल तीन बैठकें की । बैठकों में सभी
नामित सदस्य उपस्थित रहे। समिति में पहले वर्तमान स्थिति का आंकलन किया । जाँच की
गई कि इस समय कार्यालय में कितनी सामग्री उपलब्ध है। इसके बाद रसीदों, बिलों और
बाउचरों से यह जानकारी ली गई कि पिछले वित्तिय वर्ष में कितनी धनराशि थी और क्या
सामग्री खरीदी गई।
जांच
में यह तथ्य सामने आया कि लगभग 50% सामग्री कार्यालय में आयी ही नहीं, केवल बिलें और रशीदें ही आईं। कुछ
फर्जी रशीदें भी पाई गईं। इसके अलावा अधिक मूल्य पर कोटेशन देने वाले सप्लायर्स को
सामान आपूर्ति के आदेश दिए गए। कम दाम देने वालों की उपेक्षा की गई।
साक्ष्यों
और तथ्यों के गहन जाँच-पड़ताल एवं साक्ष्यों से यह निष्कर्ष निकलता है कि इस
हेरा-फेरी में वर्तमान कार्यालय सहायक श्री अ ब स की संलिप्तता है।
निदेशक महोदय जो कार्यवाही करना चाहें।
प्रतिवेदन
(क ख ग)
अध्यक्ष जांच समिति
हस्ताक्षर................. सदस्य
1............................... 2. ...............................
दिनांक ................................
कार्यालय ज्ञापन /ज्ञापन(MEMORANDUM)
सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के बीच
आपस में सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए जो औपचारिक पत्राचार होते हैं, उन्हें कार्यालय
ज्ञाप या ज्ञापन कहा जाता है। आलेखन का यह
रूप भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के बीच अधिक प्रचलित है। लेकिन राज्य
सरकारों द्वारा भी आवश्यकता पड़ने पर इनका प्रयोग किया जाता है। सरकार के विभिन्न
विभागों को आपस में कई तरह की सूचनाएं लेनी-देनी होती हैं। कुछ बातें पूछनी और कुछ
बताती होती हैं। उनके बीच परस्पर सुझावों के आदान-प्रदान भी होते रहते हैं। इसके
लिए कार्यालय ज्ञाप का प्रयोग किया जाता है।
निम्नलिखित
स्थितियों में इसका प्रयोग होता है –
1.
कर्मचारियों
से प्राप्त प्रार्थना-पत्रों, आवेदनों आदि का उत्तर देने हेतु।
2.
विभाग
में प्राप्त पत्रों की पावती की सूचना देनें के लिए।
3.
किसी
नियम या निर्देश पर चर्चा करने के लिए।
नोट: कार्यालय ज्ञाप की भाषा आदेशात्मक नहीं होती है। प्राय: ज्ञापन का प्रयोग उन
सरकारी विभागों के बीच होता है, जो एक दूसरे के समकक्ष हैं। वे आपस में सरकारी पत्र का प्रयोग नहीं
करते हैं।
कार्यालय ज्ञापन/ज्ञापन के उदाहरण
गृह मंत्रालय, भारत सरकार राजभाषा विभाग
संख्या- 251/6/2019-20 दिनांक .........
कार्यालय
ज्ञापन
विषय: उत्पादों पर राजभाषा हिन्दी
का प्रयोग
केन्द्र सरकार के उद्यमों
द्वारा अनेक प्रकार के उत्पाद तैयार किए जाते हैं। यह देखा गया है कि उनके विवरण
प्राय: अंग्रेजी में ही दिए रहते हैं। ऐसा करना सरकार की राजभाषा नीति के
विरूद्ध है।
वित्त मंत्रालय से
अनुरोध है कि वह अपने नियंत्रण में आने वाले निगमों, कम्पनियों को निर्देशित करें
कि भविष्य में उनके द्वारा निर्मित उत्पादों पर विवरण अंग्रेजी के साथ ही हिंदी
में भी दिए जाएँ।
इस सम्बंध में जारी
किए गए आदेश की एक प्रति इस विभाग को भी सूचनार्थ भेजी जाए।
सेवा में,
मुख्य सचिव
वित्त मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली
|
हस्ताक्षर
( अ ब स)
सचिव, (रा. भा. वि.)
|
नोट:कुछ विभागों द्वारा कुछ परिवर्तन भी मिलता है। जैसे मंत्रालय या विभाग
का नाम सबसे उपर बीचो-बीच की जगह बाईं ओर भी लिख दिया जाता है। यद्यपि यह परिवर्तन
कहीं-कहीं देखने को मिलता है। इसी के समानांतर दाँईं ओर स्थान एवं दिनांक लिखा
जाता है।
सारणी
संक्षेपण/सारणी संक्षेप(TABULAR FORM)
यह भी संक्षेपण का ही एक रूप है। इसका प्रयोग सरकारी विभागों,
व्यावसायिक संस्थानों एवं निजी कम्पनियों द्वारा किया जाता हैं।सामान्य संक्षेपण
की तुलना में इस तरह के संक्षेपण का प्रारूप एवं रचनाशैली अलग होती है ।
तकनीकी-पत्र का प्रयोग इसमें अधिक रहता है।
सरकार के मुख्य
विभाग अथवा किसी विभाग की ओर से विभिन्न विभागों को कभी-कभी ऐसे पत्र भेजे जाते
हैं, जिनमें कई सूचनाएं रहती हैं। ऐसी सूचनाओं या आदेशों का विषय तो एक
रहता है लेकिन अलग-अलग विभागों को भेजे जाने से पाने वालों के नाम एवं पते बदल
जाते हैं। सारणी रूप संक्षेप बना लेने से सभी ब्योरे एक जगह एक साथ मिल जाते हैं।
सारणी संक्षेप
तालिका बनाकर लिखा जाता है। तालिका में छ: कालम होते हैं–
1.
क्रमांक
2.
पत्र
संख्या
3.
दिनांक
4.
प्रेषक
5.
पाने
वाला
6.
विषय
वस्तु
सारणी में स्तम्भों का क्रम यही रहना चाहिए, यदि क्रम बदल दिया जाता
है तो यह तकनीकी दोष माना जाएगा।
सारणी रूप का उदाहरण
पत्र संख्या- आ0वि0ल0/2/2019 दिनांक- 10-12-2019
प्रेषक,
श्री
जे.एल.वर्मा
आयकर
आयुक्त
आयकर
विभाग,
लखनऊ
सेवा में,
महानिदेशक
आयकर
विभाग
नई
दिल्ली
विषय- कार्यालय में 03 लिपिक एवं 02 चपरासी पद के
सृजन एवं नियुक्ति के संदर्भ में।
महोदय,
लखनऊ
महानगर में इस समय कर दाताओं की संख्या अत्यधिक हो गई है। इन सभी कर दाताओं के
अभिलेखों को अद्यतन करने हेतु हमारे यहाँ लिपिकों की एवं उनकी सहयता हेतु
चपरासियों की भारी कमी है।
अत: आपसे अनुरोध है कि इस कार्यालय के सभी कार्यों
को सुगमता पूर्वक समपन्न करनें हेतु तात्कालिक प्रभाव से 03 कनिष्ठ लिपिकों एवं 02
चपरासियों के अस्थाई पद सृजित किए जाएं और उनकी यथाशीघ्र तदर्थ नियुक्ति करने की
अनुमति भी प्रदान की जाए।
भवदीय
हस्ताक्षर
(के. एल. वर्मा)
आयकर आयुक्त
आयकर विभाग,
लखनऊ
सारणी संक्षेप:-
क्रमांक
|
पत्र संख्या
|
दिनांक
|
प्रेषक
|
पाने वाला
|
विषय वस्तु
|
1.
|
309/25/2019
|
15/2/.2019
|
आ.डी. स्वामी, अ.स., वि.म., भा.स.न.
दि.
|
कुल0, सम0 ति0,
प्रतिलिपि-
1.
2.
|
1. भारत सरकार द्वारा शोध की गुणवत्ता हेतु शोध छात्रों
को रुपये 5000 प्र.छ., प्र.म. की वृत्ति देने का निर्णय।
2. विश्व विद्यालय के विविध संकायों में शोधरत छात्रों की
सूची तथा उनके व्यय भार को मंत्रालय को शीघ्र भेजने की व्यवस्था करें।
|
कार्यवृत्त
राजभाषा
कार्यान्वयन समिति की तिमाही
बैठकदिनांक 30/03/2019
माह
मार्च-2019
राजभाषा कार्यान्वयन समिति,के.वि.-उज्जैन
की बैठक श्री.............. ,प्राचार्य
महोदय की अध्यक्षता में,विद्यालय संगणक-कक्ष में दिनांक :30/04/2019 को अपराह्न 03:30 बजे
आयोजित की गई । जिसमें निम्नलिखित सदस्य उपस्थित रहे–
1. श्री
2. श्री
3. श्री
4. श्री वरिष्ठ सचिवालय सहायक
5. श्री कनिष्ठ सचिवालय सहायक
इस बैठक में राजभाषा-विभाग, भारत
सरकार द्वारा निधारित वार्षिक कार्यक्रम 2019-20 पर परिचर्चा की
गई तथा निम्नलिखित निर्णय लिए गए -
1.वार्षिक कार्यक्रम 2019-20 पर परिचर्चा एवं निर्धारित लक्ष्य
प्राप्त करना
राजभाषा
कार्यान्वयन समिति की बैठक में राजभाषा-विभाग, भारत सरकार द्वारा निधारित वार्षिक
कार्यक्रम 2019-20
को श्रीमती ….. सचिव / सहायक आयुक्त द्वारा पढ़कर सुनाया गया तदुपरांत उस पर गहन चर्चा की
गई । चर्चा के दौरान पाया गया कि विद्यालय कार्यालय द्वारा अधिकांश लक्ष्य प्राप्त
कर लिए गए हैं, जैसे -
(क)
हिंदीमें प्राप्त पत्रें के उत्तर हिंदी में
देना।
(ख)
बेवसाईट का द्विभाषीकरण।
(ग)
प्रपत्रों का द्विभाषी /हिंदी में अनुवाद किया
जाना ।
(घ)
अंग्रेजी के पत्रों का उत्तर हिंदी में दिया जाना
।
(ङ)
मोहरों का हिंदी / द्विभाषी बनवाया जाना ।
(च)
सूचनापट्ट
एवं साईनबोर्ड को द्विभाषी / हिंदी में बनवाया जाना ।
(छ)
वार्षिक शैक्षणिक एवं वार्षिक लेखा रिपोर्ट द्विभाषी
/ हिंदी में बनाना।
(ज)
विज्ञापन द्विभाषीय(हिन्दी व अंग्रेजी) में छपवाना।
2. राजभाषा कार्यान्वयन समिति के
निर्णय एवं कार्रवाई
राजभाषा कार्यान्वयन
समिति द्वारा लिए गए निर्णयों के संदर्भ में निम्नलिखित कार्रवाई की गई –
(क)
जो प्रपत्र हिंदी/द्विभाषी
में नहीं थे, उनका अनुवाद संबंधित
अनुभाग को उपलब्ध कराया गया ।
(ख)
हिंदी में मूल पत्राचार की
वृद्धि हेतु कुछ मूलभूत पत्रों का प्रारूप तैयार करके कार्यालय को उपलब्ध कराया
गया।
(ग) हिंदी
के प्रगामी प्रयोग के लिए पारिभाषिक शब्दावली पर परिचर्चा करके कार्यालयी कार्यों
के लिए उपयुक्त शब्दों पर विचार किया गया।
और उनको मुद्रित कर कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों को उपलब्ध करया गया।
सचिव/
पी.जी.टी. हिंदी
अध्यक्ष/प्राचार्य
Very helpful thankyou.
ReplyDeleteVery very very important information and very helpful
ReplyDeleteThank a lot Mam,😊 it's very helpful.
ReplyDeleteVery helpful ,Thank alone Mam
ReplyDeleteNice bhaiya
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपके
ReplyDeleteबहुत सुन्दर जानकारी दिए जाने के लिए 🙏🙏
ReplyDeleteVery Nice अर्ध शासकीय पत्र क्या होता है? उपयोग, विशेषता और कैसे लिखे Thank you.
ReplyDeleteThanks a lot medam
ReplyDeleteShukriya medam
ReplyDeleteVery tough 😑
ReplyDeleteTnx you mam
ReplyDeleteTxn you
ReplyDeleteHi
ReplyDeleteThanks a lot ii
ReplyDeleteThank you mam i love you 😅
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