स्वागत है तुम्हारा, इस महाविद्यालय परिवार में |
प्रियंका जैन"चंचल" |
अभिनंदन है तुम्हारा, इस ज्ञान की बहार में ||
स्कूल अब यादों में ही खो गया ,
अब तुम्हारा एडमिशन, कोलेज में हो गया |
मन में नवीन आशाओं का संचरण होगा |
मन में भी कुछ संदेह व् भय होगा |
तो मेरे प्यारे दोस्तों , सुनों मेरी बात |
छोड़ो डर व संकोच हम है तुम्हारे साथ ||
छोटे हो तुम ,हम बड़े ,ऐसा न तुम सोचना |
जो भी कुछ हो प्रोब्लम, भेद हमसे खोलना |
छोटे हो या बड़े दोनों की प्रधानता है |
एक है विनम्रता तो दूसरी वात्सल्यता है ||
इंट्रो (फ्रेशर) पार्टी इसलिए रखी है आज |
ताकि तुमको हमसे रहे न कोई लाज |
आज हमारा तुमसे परिचय हो जाएगा |
और हमारा स्नेह भी द्विगुणित हो जाएगा |
हम तुम्हें कभी- कभी आदेश भी है दे सकते |
परन्तु भलाई के लिए ही बड़े है कुछ कहते |
अपनों पर ही हुक्म चलाया जाता |
गैरों को आदेश कभी नहीं भाता |
तुम बहुत ही योग्य और होशियार हो|
तुम भी कल के सुनागरिक तैयार हो |
खूब जमके तुम अपनी पढाई करना |
जीवन को उन्नति पथ पर अग्रसर करना |
मेरी एक बात पर जरा गौर करना -
जीवन में विनय व अनुशासन भी जरुरी है |
पढाई तो इन जीवन मूल्यों के बिना अधूरी है ||
तो इन बातों का रखना तुम ध्यान |
इस कोलेज की खूब बढ़ाना शान |
"चंचल" का तो बस यही था कहना |
यदि बुरा लगे तो दिल पे न लेना || सदा प्रसन्न चित्त रहना ||
Mam apne bahut achchi kavita likhe hai.
ReplyDeleteशुक्रिया
ReplyDeleteMam apne bahut achchi kavita likhe hai
ReplyDeleteWow mam
ReplyDeleteThank
ReplyDelete